शिवलिंग

शिवलिंग के विभिन्न प्रकार होते हैं और सभी का अलग अलग महत्त्व होता है। भगवान शिव की भक्ति का प्रमुख माह श्रावण है जो सम्पूर्ण विश्व में पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है। पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहता है। सभी शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारी से पूजा की जाती है और चारों ओर श्रद्धालुओं द्वारा ‘बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय’ की गूंज सुनाई देती है। शिवालय में श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ दिखाई पड़ती है और धार्मिक पुराण के अनुसार श्रावण मास में शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है।

शिवलिंग के विभिन्न प्रकार तथा उनका महत्त्व

श्रावण में शिव उपासना का खास महत्व होता है। शिवलिंग भी कई प्रकार के होते हैं। विभिन्न कार्यों के लिए अलग अलग शिवलिंग का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं कि शिवलिंग कितने प्रकार के होतें है और उनकी पूजा से हमें क्या लाभ मिलाता है।

जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें। रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
शिवलिंग के प्रकार
    • मिश्री (चीनी) से बने शिव लिंग की पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं।
    • सोंढ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वशीकरण और अभिचार कर्म के लिये किया जाता हैं।
    • फूलों से बने शिव लिंग कि पूजा से भूमि-भवन कि प्राप्ति होती हैं।
    • जौं, गेहुं, चावल तीनो का एक समान भाग में मिश्रण कर आटे के बने शिवलिंग कि पूजा से परिवार में सुख समृद्धि एवं संतान का लाभ होकर रोग से रक्षा होती हैं।
    • किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसकी पूजा करने से फलवाटिका में अधिक उत्तम फल होता हैं।
    • यज्ञ कि भस्म से बने शिव लिंग कि पूजा से अभीष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
    • यदि बाँस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है।
पारद शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्कृष्ट माना गया है। घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए पूजन विधिवत की जानी चाहिए। कई जगह तो शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाया गया है। अत: शिव और शंकर दो अलग अलग सत्ताएं है। हालांकि शंकर को भी शिवरूप माना गया है।

कुछ विशेष शिवलिंग तथा उसके महत्व

शिवलिंग दही, गुड, आवंले, मोती, कपूर, पीपल की लकड़ी, चाँदी अथवा सोने से भी बनाए जाते हैं। इन सभी अलग अलग तत्वों से बने शिवलिंग का महत्व नीचे दिया गया है। किसी भी शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से सदैव लाभ ही प्राप्त होता है।

    • दही को कपडे में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे जो शिवलिंग बनता हैं उसका पूजन करने से समस्त सुख एवं धन कि प्राप्ति होती हैं।
    • गुड़ से बने शिवलिंग में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
    • आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
    • कपूर से बने शिवलिंग का पूजन करने से आध्यात्मिक उन्नती प्रदत एवं मुक्ति प्रदत होता हैं।
    • यदि दुर्वा को शिवलिंग के आकार में गूंथकर उसकी पूजा करने से अकाल-मृत्यु का भय दूर हो जाता हैं।
    • स्फटिक के शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति कि सभी अभीष्ट कामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं।
    • मोती के बने शिवलिंग का पूजन स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि करता हैं।
    • स्वर्ण निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से समस्त सुख-समृद्धि कि वृद्धि होती हैं।
    • चांदी के बने शिवलिंग का पूजन करने से धन-धान्य बढ़ाता हैं।
    • पीपल की लकडी से बना शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता हैं।
    • लहसुनिया से बना शिवलिंग शत्रुओं का नाश कर विजय प्रदत होता हैं।
    • बिबर की मिट्टी के बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों से रक्षा करता है।

शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है। वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। इसी कारण प्रतीक स्वरूप शिवलिंग की पूजा-अर्चना है।

शिवलिंग क्या है?

शिवलिंग परम ब्रह्म है तथा संसार की समस्त ऊर्जा का प्रतीक भी है।

शिवलिंग का आरंभ कैसे हुआ?

वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है, उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है। वस्तुत: यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो मिलकर संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार बनाते हैं। इसी का प्रतीक शिवलिंग है जिसकी आस्था से पूजा-अर्चना की जाती है।

शिवलिंग के 12 नाम कौन से हैं?

सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है। ज्योतिर्लिंग यानी व्यापक ब्रह्मात्मलिंग जिसका अर्थ है व्यापक प्रकाश। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से क्या लाभ होता है?

शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से रोगों का नाश होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। अगर शिव मंदिर में शिवलिंग पीपल पेड़ के नीचे स्थापित हो तो सबसे उत्तम माना जाता है।